पुष्पम प्रिया चौधरी

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प्लुरल्स पुष्पम प्रिया चौधरी
प्लुरल्स एक राजनीतिक दल है। इसकी स्थापना पुष्पम प्रिया चौधरी के द्वारा की गई है जो प्लुरल्स की प्रेसिडेंट भी हैं। उन्होंने इस राजनीतिक दल की स्थापना बिहार को 2025 तक भारत का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने और 2030 तक दुनियाँ के श्रेष्ठ जगहों में से एक बनाने के लिए किया है।
प्लुरल्स पुष्पम प्रिया चौधरी के नेतृत्व में आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेगा और सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा कर सरकार बनाएगा। सरकार बनाने के उपरांत अगले दस वर्ष अर्थात 2020-2030 में बिहार को उस मुक़ाम तक पहुँचाएगा जिसका वह हक़दार रहा है और जिसके बिना गुणवत्तापूर्ण जीवन की कल्पना मुमकिन नहीं है।
प्लुरल्स महज़ एक राजनीतिक दल ही नहीं है, यह एक राजनीतिक आंदोलन है जो विचारधारा से ज़्यादा व्यक्ति को प्राथमिकता देता है, और काँट के इस विचार से सहमत है कि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं में एक लक्ष्य होना चाहिए न कि किसी लक्ष्य की प्राप्ति में मात्र एक साधन। तथापि प्लुरल्स व्यक्ति की स्वतंत्रता (Agency), उसकी भलाई (Well-being) और उसकी प्रतिष्ठा (Dignity), जिसमें उसके जीवन की गुणवत्ता सबसे महत्वपूर्ण है, इनके बारे में चिंतित है।
आधुनिक लोकतंत्र में सरकार सबसे ताकतवर संस्थान है जो लोगों के जीवन को सही अर्थों में बदल सकती है। और आख़िरकार लोग सरकार को चुनते ही इसलिए हैं कि उनकी ज़िंदगी में बेहतरी आए और सरकार के भरोसे निश्चिंत होकर वे अपने जीवन, अपने परिवार और अपने बच्चों की भलाई कर सकें। लेकिन आज सरकार खुद में एक समस्या बन गयी है। वह अपना काम तो नहीं ही कर रही और किसी को करने भी नहीं देती है। उसका ध्यान सिर्फ़ अपने चुनिंदा लोगों पर है। इस सम्पूर्ण व्यवस्था में बदलाव की ज़रूरत है। बिना राजनीति को बदले व्यवस्था में बदलाव असम्भव है। एक अच्छी सरकार से बेहतर समाज-सेवा और कोई संस्था नहीं कर सकती और अच्छी सरकार और अच्छे संस्थानों को काम करने के लिए माहौल बनाती है जिससे समाज का समग्र विकास होता है।
क्योंकि बिहार हमारी मातृभूमि है। बिहार को इसके राजनीतिज्ञों ने पूरी दुनिया में बदनाम कर रखा है। बिहारी शब्द बिहार के बाहर एक अपमानसूचक शब्द बना दिया गया है। यह एक भावनात्मक कारण है। इससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि बिहार पूरी दुनियाँ में सबसे पिछड़े प्रदेशों में एक है। हर मामले में बिहार की गिनती नीचे से शुरू होती है, चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, प्रति व्यक्ति आय हो या उद्योग व रोज़गार हो। जबकि एक समय था जब बिहार विश्व का सबसे शक्तिशाली प्रदेश हुआ करता था जब विवेकशील शासक हुआ करते थे। पूरी दुनियाँ तेज़ी से आगे बढ़ रही है और अब अगर बिहार पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तो बहुत देर हो जाएगी। पूरी दुनियाँ से अपने लिए सतत विकास का लक्ष्य 2030 तक रखा है जब सबके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और रोज़गार देना है। आज के दिन बिहार के लिए यह असम्भव है। इसलिए बिहार में बदलाव जरुरी है।
बिहार में कोई भी दल योग्य नहीं। पिछले तीस सालों का ही उदाहरण लें - पहले 15 साल ‘कुशासन’ और फिर 15 साल तथाकथित ‘सुशासन’। नतीजा क्या है? बिहार सबसे नीचे। बिहार क्यों आगे नहीं बढ़ रहा? क्योंकि इन्हें बढ़ाना नहीं आता। पूरी दुनियाँ में राजनीति धीरे-धीरे पॉलिसी निर्माण में बदल गयी है और इसके लिए काबिल राजनेता चाहिए, जिन्हें पूरी दुनियाँ के कामकाज की जानकारी हो। बिहार के दलों के नेता या तो नासमझ हैं या महज़ उम्र बीत जाने से अनुभवी मान लिए गए हैं। सच तो यह है कि इन्हें काम करने की जानकारी ही नहीं है और इसलिए इनसे बिहार का वास्तविक विकास सम्भव ही नहीं हैं। प्लुरल्स इस व्यवस्था को बदलना चाहता है।
इसकी सम्भावना नगण्य है।
सवाल ही नहीं है, और इसकी नौबत भी नहीं आएगी।
प्लुरल्स सिर्फ़ लोगों के समीकरण में यक़ीन करता है। यह किसी जाति, धर्म, लिंग और समुदाय को राजनीति में प्रयोग करने के पूर्णत: ख़िलाफ़ है। बिहार की अगर बात है तो बस एक धर्म है वह है बिहार और एक ही जाति है वह है बिहारी।
क्योंकि लोगों को अपनी ज़िंदगी में बेहतरी चाहिए और प्लुरल्स को बिहार में बेहतरी चाहिए । बिहार बेहतरी के योग्य है और बिहार में बेहतरी सम्भव है। प्लुरल्स इसे साबित करके दिखाएगा।
पुष्पम प्रिया चौधरी प्लुरल्स की संस्थापक और प्रेसिडेंट हैं। उन्होंने इस राजनीतिक दल की स्थापना बिहार को 2025 तक भारत का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने और 2030 तक दुनियाँ के श्रेष्ठ जगहों में से एक बनाने के लिए किया है। उन्होंने प्लुरल्स के माध्यम से 2020 में एक राजनीतिक आंदोलन “सबका शासन” की शुरुआत की है। यह ‘प्लुरल’ का राजनीतिक दर्शन ही है जो उनको, उनकी विचारधारा को और साथ ही उनके आंदोलन को परिभाषित करता है। प्लुरल्स वर्तमान राजनीतिक व्यवहार के विरूद्ध खड़ा होकर बिहार की राजनीति को पुन: परिभाषित कर रहा है। वे मज़बूती से यक़ीन करती हैं कि यह देश जिन सिद्धांतों और मज़बूत नैतिकता के धरातल पर जन्मा था, उन बुनियादी तत्त्वों को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है। वे राजनीति को पॉज़िटिव, प्रॉडक्टिव और पॉलिसी निर्माण पर केंद्रित करना चाहती हैं और सिर्फ़ कार्यक्रम-आधारित राजनीति (programmatic politics) का समर्थन करती हैं।
पुष्पम प्रिया चौधरी की प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा दरभंगा, बिहार में हुई। वे अपनी उच्च शिक्षा के लिए बिहार से बाहर गईं। बाद में वे यूनाइटेड किंगडम गईं और यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स के इंस्टीट्यूट ऑफ डिवेलपमेंट स्टडीज़ से डिवेलपमेंट स्टडीज़ में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। इस पढ़ाई में उनके विषय रहे गवर्नन्स, डेमोक्रेसी और डिवेलपमेंट ईकोनोमिक्स । उन्होंने विश्व की प्रभावशाली नीतियों के साथ-साथ बिहार और भारत की असफल नीतियों पर शोध किया। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव 2015 की पृष्ठभूमि में वोटिंग पैटर्न और वोटिंग व्यवहार पर भी फ़ील्ड में एक मौलिक शोध किया और “पार्टी-कैंडिडेट-वोटर लिंक़ेज तंत्र आधारित उत्तरदायित्व व सुनवाई” पर अपनी थीसिस लिखी। मिस चौधरी ने उसके बाद लंदन स्कूल ऑफ ईकोनोमिक्स एंड पोलिटिकल सायन्स से मास्टर ऑफ पब्लिक एड्मिनिस्ट्रेशन की दूसरी स्नातकोत्तर डिग्री ली। एलएसई में उन्होंने राजनीति विज्ञान, राजनीतिक दर्शन, लोक प्रशासन, अर्थशास्त्र, फ़िलासफ़ी, सोशल पॉलिसी और पोलिटिकल कम्यूनिकेशन की पढ़ाई की।
पुष्पम प्रिया चौधरी की माता डॉ. सरोज चौधरी हैं, जो ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में समाजशास्त्र की प्राध्यापिका हैं। उनके पिता डॉ. विनोद कुमार चौधरी ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष व डीन पद से सेवानिवृत हुए हैं। वे दरभंगा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से 2008-2014 में बिहार विधान परिषद के सदस्य भी रहे। मिस चौधरी की बड़ी बहन लंदन में ब्रिटिश सिविल सेवा की अधिकारी हैं और उनके बहनोई ब्रिटिश नागरिक हैं व लंदन में ही एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी के सीनियर एग्ज़ेक्युटिव पद पर कार्यरत हैं।
पुष्पम प्रिया चौधरी के दादा स्वर्गीय डॉ. उमाकांत चौधरी समता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के वरीय नेता रहे। उनके पिता डॉ. विनोद कुमार चौधरी जनता दल यूनाइटेड के वरीय नेता और पूर्व विधान पार्षद हैं।
नहीं। पुष्पम प्रिया चौधरी का राजनीतिक आंदोलन पूर्णत: उनका अपना स्वतंत्र राजनीतिक प्रयास है और उनकी राजनीतिक विचारधारा और उनके पिता (या किसी भी राजनीतिक दल) की विचारधारा में कोई साम्यता नहीं है।
नहीं। यह बात पूर्णत: मनगढ़ंत और विरोधी पक्षों द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर प्रचारित करने की कोशिश है। वे और उनके सहयोगी अपने आरम्भिक राजनीतिक अभियान का खर्च वहन करने में सक्षम हैं और चुनाव अभियान के लिए उनका दल पूर्णत: क्राउडफ़ंडिंग कैम्पेन पर निर्भर है।
पुष्पम प्रिया चौधरी मुख्यमंत्री बनने के लिए पूर्णत: योग्य हैं। उनकी शिक्षा, विषयगत विशिष्टताएँ और उनकी सोच देश में उपलब्ध किसी भी राजनीतिज्ञ से बेहतर हैं। वे नहीं मानती कि राजनीति में समय बिता लेना और येन-केन-प्रकारेण सत्ता में बने रहना अनुभव का द्योतक है।


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